इस्लाम में अंग दान

इस्लाम में अंग दान

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

अंग दान दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बहुत विवादास्पद विषय है। अधिकांश मुसलमानों का मानना है कि यह इस्लाम में स्वीकार्य नहीं है लेकिन यह धारणा सही नहीं है। पवित्र कुरान की आयतों में समुचित शोध करने के बाद, दुनिया भर के कई इस्लामिक विद्वान इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं, कि अंग दान की अनुमति है और वास्तव में कई शर्तों के तहत इस्लाम में सिफारिश की गई है। कई मुस्लिम विद्वानों के अनुसार अंग दान की अनुमति की राय निम्नलिखित शर्तो तहत है:  अंग दान से दाता को अंग दान की प्रक्रिया से नुकसान नहीं होना चाहिए।  अंग दान की आवश्यकता प्राप्तकर्ता को जीवित रहने के लिए या किसी महत्वपूर्ण शारीरिक कार्य को करने के लिए हो।  दाता के शरीर (मृत्योपरांत अंग दान के मामले में) की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उसका सम्मान किया जाना चाहिए।  अंगों को खरीदा या बेचा नहीं जाना चाहिए।  दाता स्वयं की इच्छा और स्वतंत्र रूप से अंग को या तो अपने जीवन में या मृत्यु के बाद दान करता है।  रोगी के जीवन को बचाने के लिए उपचार के वैकल्पिक तरीकों के अभाव में अंग प्रत्यारोपण की अनुमति है। यह राय पवित्र कुरान की निम्नलिखित शिक्षाओं पर आधारित है: "जो भी एक व्यक्ति को मारता है (जब तक कि यह हत्या या पृथ्वी पर भ्रष्टाचार के लिए नहीं है) यह ऐसा है जैसे उसने पूरे मानव जाति को मार दिया; और जो कोई इसे बचाता है, वह ऐसा है मानो उसने पूरी मानव जाति को बचा लिया है।” (कुरान २:३२) "और अल्लाह के मार्ग में ख़र्च करो और अपने ही हाथों से अपने-आपको तबाही में न डालो, और अच्छे से अच्छा तरीक़ा अपनाओ। निस्संदेह अल्लाह अच्छे से अच्छा काम करनेवालों को पसन्द करता है।" (क़ुरान २:१९५) "वे उनसे प्रेम करते हैं जो हिजरत करके उनके यहाँ आए हैं और जो कुछ भी उन्हें दिया गया उससे वे अपने सीनों में कोई खटक नहीं पाते और वे उन्हें अपने मुक़ाबले में प्राथमिकता देते हैं, यद्यपि अपनी जगह वे स्वयं मुहताज ही हों। और जो अपने मन के लोभ और कृपणता से बचा लिया जाए ऐसे लोग ही सफल हैं।" (क़ुरान ५९:९) अंग दान का महत्व हमारे प्रिय पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वा सल्लम) के जीवन की एक घटना से भी मालूम होता है। एक आदमी अल्लाह के पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अलैहि वा सल्लम) के पास आया और कहा: ‘अल्लाह के रसूल! क्या हमें अपनी बीमारी का इलाज करवाना चाहिए?’ रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वा सल्लम) ने फरमाया: ‘ऐ अल्लाह के सेवकों! उपचार की तलाश करो क्योंकि अल्लाह ने इसके लिए हर बीमारी का बनाया है। बिना इलाज के कोई बीमारी नहीं बनाई; कुछ लोग इसे जानते हैं और अन्य नहीं’

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